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सुना हमने क़िस्से कहानियों में l

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सुना   हमने   क़िस्से   कहानियों   में ,  तू   दुष्टों   का   करती   है संहार   । फिर   क्यों   आज   तू   बधिर   बनी   जब ,  तेरी   बेटियाँ   करती   है   तुझसे   पुकार   ।। सुना   हमने   क़िस्से   कहानियों   में  , तू   अपने   भक्तों   की   बनती   है   ढाल   । लेकिन   क्यों   जब   कोई   गिद्ध   तेरी   बेटी   पर   आँख   गढ़ाएँ ,  तू   नही   रखती   उसका   ख़याल   ।। सुना   हमने   क़िस्से   कहानियों   में ,  कि   बेटियाँ   तेरा   ही   तो   अंश   है   । फिर   क्यों   उनके   जीवन   में   शुरू   से   अंत   तक   एक   अलग   ही   विध्वंस   है   ।। सुना   हमने   क़िस्से   कहानियों   में ,  बेटियाँ   होती   सृजन   जननी   है   । फिर   क्यों   इनके   जन्म   के   संवाद   पर ,  हर   एक   सूरत   रोनी   बननी   है   ।। सुना   हमने   क़िस्से   कहानियों   में ,  बेटियाँ   फूल   स्वरूप   इस   सृष्टि   का आधार   है   । फिर   क्यों   एक   नन्हीं   सी   कली   के   लिए   भी   मन   में   कुविचार   है   ।। सुना   हमने   क़िस्से   कहानियों   में ,  बेटियाँ   नव