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अपूर्ण....!

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अपूर्ण ..... हाँ अपूर्ण हूँ मै, हाँ अपूर्ण है तू न जाने कब पूर्ण होंगे यह सवाल ही अपूर्ण है कौन पूर्ण है यहाँ, यह सवाल ही अपूर्ण है रिश्ते अपूर्ण है, बादल बरसते अपूर्ण है अँधेरा अपूर्ण है, रौशनी अपूर्ण है जवानी अपूर्ण है, किसी की कहानी अपूर्ण है कहीं कसमें अपूर्ण है, कुछ रस्में अपूर्ण है न जाने कब पूर्ण होंगे यह सवाल ही अपूर्ण है जिंदगी चलती है, उम्रे घटती है समय गुजरता है, पल बीतता है यह लम्हाँ अपूर्ण है और कुछ ख्वाहिशें अपूर्ण है कहीं राते अपूर्ण है, किसी के सपने अपूर्ण है, कुछ अपने अपूर्ण है, कुछ पराये अपूर्ण है कभी साथ चलने वाला साया अपूर्ण है न जाने कब पूर्ण होंगे यह सवाल ही अपूर्ण है यहाँ मुस्कुराहटें अपूर्ण है, कुछ चाहतें अपूर्ण है किसी का वादा अपूर्ण है, कभी इरादा अपूर्ण है उसका होंसला अपूर्ण है,इसकी उम्मीदे अपूर्ण है तेरा प्यार अपूर्ण है , मेरा इंतजार अपूर्ण है  न जाने कब पूर्ण होंगे यह सवाल ही अपूर्ण है कहीं धूप अपूर्ण है, किसी के सिर छाँव अपूर्ण है आज कुछ यादे अपूर्ण, कुछ बाते अपूर्ण है कुछ शर्ते अपूर्ण है, किसी की मेहनत अपूर्ण है मं

कर्म करले थोड़ा ।

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अपनी किस्मत पर जब रोना आया हाथ रख माथे पर अपना सिर घुमाया आँसूओं से आँखे-दिल भर आया तब किस्मत को खूब सुनाया उसको तो देती सबकुछ है मेरी तो न परवाह तुझको  माँगा था जो-जो भी मैंने दे दिया तूने वोह सब उसको उसमे तो ऐसा कुछ भी न था मेहरबान हुई तू क्यों उसपर मुझको तो न भाता यह सब खाली है मेरा खाता अब तक     अरे छोड़ दिया तूने मुझको ऐसे परवाह न होती टूटे पंखो की पंछी को जैसे   क्या कमी थी मुझमे ऐसी,मुश्किल दी तूने कैसी जिसपे तू मेहरबान है वो तो इसके न लायक था मेहनत दिनभर करके तुझको परेशान करता था मै तो आराम करके,तुझको परेशान न करता था उसमे तो ऐसा कुछ भी न था मेहरबान हुई तू क्यों उसपर मुझको तो न भाता यह सब खाली है मेरा खाता अब तक किस्मत बोली मै तो कर्मो के खेल पर चलती हूँ मेहनत करता जो उसके गले आकर लगती हूँ तो तू दिनभर सोता था,ख्यालो में ही खोता था उसने  मेहनत से दिनरात न कभी हार मानी मै तो देती सबको बराबर मौका हूँ सपने देखना छोड़ अब कर्म करले थोडा कर्मो ने ही किस्मत को अपनी ओर है मोड़ा ।