कर्म करले थोड़ा ।




अपनी किस्मत पर जब रोना आया
हाथ रख माथे पर अपना सिर घुमाया
आँसूओं से आँखे-दिल भर आया
तब किस्मत को खूब सुनाया
उसको तो देती सबकुछ है
मेरी तो न परवाह तुझको 
माँगा था जो-जो भी मैंने
दे दिया तूने वोह सब उसको
उसमे तो ऐसा कुछ भी न था
मेहरबान हुई तू क्यों उसपर
मुझको तो न भाता यह सब
खाली है मेरा खाता अब तक
   
अरे छोड़ दिया तूने मुझको ऐसे
परवाह न होती टूटे पंखो की पंछी को जैसे  
क्या कमी थी मुझमे ऐसी,मुश्किल दी तूने कैसी
जिसपे तू मेहरबान है वो तो इसके न लायक था
मेहनत दिनभर करके तुझको परेशान करता था
मै तो आराम करके,तुझको परेशान न करता था
उसमे तो ऐसा कुछ भी न था
मेहरबान हुई तू क्यों उसपर
मुझको तो न भाता यह सब
खाली है मेरा खाता अब तक
किस्मत बोली मै तो कर्मो के खेल पर चलती हूँ
मेहनत करता जो उसके गले आकर लगती हूँ
तो तू दिनभर सोता था,ख्यालो में ही खोता था
उसने  मेहनत से दिनरात न कभी हार मानी
मै तो देती सबको बराबर मौका हूँ
सपने देखना छोड़ अब कर्म करले थोडा
कर्मो ने ही किस्मत को अपनी ओर है मोड़ा ।

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