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तो थू है तुम्हारे पुरूष होने पर ।

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अगर तुम्हारे लिए पुरुषत्व का अर्थ केवल किसी महिला की अस्मत लूटने तक है तो   थू है तुम्हारे पुरूष होने पर । अगर तुम्हारे लिए सामने खड़ी एक स्त्री सिर्फ़ तुम्हारे मनोरंजन की वस्तु है तो   थू है तुम्हारे पुरुष होने पर । अगर तुम्हारे मन में एक छोटी सी बच्ची को देखकर मन में कुकर्म की आग जगे तो   थू है तुम्हारे पुरुष होने पर । अगर किसी असहाय स्त्री के लिए तुम्हारे मन में रक्षण की जगह भक्षण का ख्याल जगे तो   थू है तुम्हारे पुरुष होने पर । अगर तुम्हारे बहके हुए मन में हवस की आग उसके परिणाम के डर से ज़्यादा दहके तो   थू है तुम्हारे पुरुष होने पर ।

यह देश जितना हमारा है उतना ही तुम्हारा है

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क्यों   यह   डर   का   माहौल   है   मेरे   दे श   में यह   कौन   शैतान   घूम   रहा   है   शांति   के   भेस   में यह   आवाजें   जो   आज   आग   उगल   रही   है क्यों   यह   सड़के   आज   धुँआ   होकर   जल   रही   है यह   हाथ   जो   आज   किताबें   छोड़   पत् थर   उठा   रहे   है क्यों   यह   सत्ता   के   लालच   में   मा सूमों   को   भड़का   रहे   हैं यह   जो   सोच   रहे   है   कि   आज   देश   बँट   रहा   है इन्हें   क्यों   लगा   कि   समाज   धर्म   के   आधार   पर   छँट   रहा   है यह   जो   नीतियों   का   अधूरा   ज्ञान   ले कर   चल   रहे   हो क्यों   अपने   ही   इस   देश   में   मौत   का   समान   बन   रहे   हो   यह   जो   सोच   रहे   हो   कि   दंगा - फ़साद   ही   आवाज़   उठाने   का   एक   सहारा   है क्यों   भूल   रहे   हो   कि   यह   देश   जि तना   हमारा   है   उतना   ही   तुम्हारा   है