यह देश जितना हमारा है उतना ही तुम्हारा है






क्यों यह डर का माहौल है मेरे दे में
यह कौन शैतान घूम रहा है शांति के भेस में

यह आवाजें जो आज आग उगल रही है
क्यों यह सड़के आज धुँआ होकर जल रही है

यह हाथ जो आज किताबें छोड़ पत्थर उठा रहे है
क्यों यह सत्ता के लालच में मासूमों को भड़का रहे हैं

यह जो सोच रहे है कि आज देश बँट रहा है
इन्हें क्यों लगा कि समाज धर्म के आधार पर छँट रहा है

यह जो नीतियों का अधूरा ज्ञान लेकर चल रहे हो
क्यों अपने ही इस देश में मौत का समान बन रहे हो 

यह जो सोच रहे हो कि दंगा-फ़साद ही आवाज़ उठाने का एक सहारा है
क्यों भूल रहे हो कि यह देश जितना हमारा है उतना ही तुम्हारा है

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