हाँ लब यह कुछ कह न सके ।

काश कह दिया होता उसे कुछ , वरना यूँ आज अकेले न होते



नजरें मिली भी थी , नजरें हमने चुराई भी थी
बहाने से उसे देखा भी था
इंतजार उसका किया भी था
बस कुछ कह न सके , हाँ लब यह कुछ कह न सके ।

एक मुस्कान थी उसके चेहरे पर ,जिसे मै पढ़ न सका
शायद कुछ इशारा किया था उसने , जिसे मैं समझ न सका
जब पास वोह आई दिल तेज धड़का जरुर था
जब वोह दूर गई दिल थम सा जरुर गया था
बस कुछ कह न सके , हाँ लब यह कुछ कह न सके ।

उसका चेहरा कुछ ऐसा नर्म सा था,
जिसे देखने के लिए मैं कुछ बेशर्म सा था
आँखों पर उसके चश्मा चढ़ा था,देखने में जो थोडा सा बड़ा था
चश्में के पीछे निगाहें छुपी थी, जिस में शायद कोई इशारा था
पर मैं उन्हें समझ न सका, हाँ मैं कुछ समझ न सका
बस कुछ कह न सके , हाँ लब यह कुछ कह न सके ।

उसका एहसास कुछ ऐसा था, जैसे नशा हो कोई
आजादी की तलाश मैं कैदी फंसा हो कोई 
इससे पहले भी ऐसा नशा हुआ है मुझे , लेकिन
यह नशा सिर चढ़कर बोला, हाँ कुछ अलग था यह लेकिन
बस हम कुछ कह न सके , हाँ लब यह कुछ कह न सके ।

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