ज़िंदगी की सबसे बड़ी पहेली ज़िंदगी है
इक क्षण में अश्रु बहे
इक क्षण में मुस्कान खिले
ज़िंदगी की सबसे बड़ी पहेली ज़िंदगी है
किस तरह यह उलझन खुले
किस राह मैं दौड़ो
किस राह मैं निहारू
दो राह में अक्सर उलझ जाऊँ
ज़िंदगी की सबसे बड़ी पहेली ज़िंदगी है
किस तरह यह उलझन सुलझाऊँ
हाँथों की बिखरी लकीरें
माथे की अधूरी तक़दीरें
चेहरे की पूरी उदासी
अक्सर मुझसे यह सवाल पूछें
ज़िंदगी की सबसे बड़ी पहेली ज़िंदगी है
किस तरह यह उलझन खुले
रातों में मेरी नींदे अधूरी
साँसे कभी आधी कभी पूरी
धड़कनो से मेरी यह हिसाब पूछे
ज़िंदगी की सबसे बड़ी पहेली ज़िंदगी है
किस तरह यह उलझन सुलझे
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