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यहाँ ,हर एक इंसान न जाने कैसी पहेली है।

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यहाँ ,हर एक इंसान न जाने कैसी पहेली है हर पल खेलता न जाने कैसी अठखेली है। कोई उस खुदा से फरियाद करता है कोई उस खुदा की फरियाद करता है यहाँ ,हर एक इंसान न जाने कैसी पहेली है हर पल खेलता न जाने कैसी अठखेली है। कोई जीत की दुआएँ करता है कोई जीत कर दुआएँ करता है , यहाँ ,हर एक इंसान न जाने कैसी पहेली है हर पल खेलता न जाने कैसी अठखेली है। कोई एक हँसी पाने के लिए रोता है कोई हँसते-हँसते रो देता है यहाँ ,हर एक इंसान न जाने कैसी पहेली है हर पल खेलता न जाने कैसी अठखेली है। कोई अपनों के लिए रोता है कोई अपनों के वजह से रोता है यहाँ ,हर एक इंसान न जाने कैसी पहेली है हर पल खेलता न जाने कैसी अठखेली है। कोई सम्पति-सम्पदा के लिए रोता है कोई सम्पति-सम्पदा पाकर भी रोता है, यहाँ ,हर एक इंसान न जाने कैसी पहेली है हर पल खेलता न जाने कैसी अठखेली है। कोई सिर्फ सपनों में ही खोया रहता है कोई अपने सपनों को हक़ीकत बनाता है, यहाँ ,हर एक इंसान न जाने कैसी पहेली है हर पल खेलता न जाने कैसी अठखेली है । कोई चलता है, लड़खड़ाता है, गिर जाता है, कोई लड़खड़ाता है, गिर जाता है और फिर से च

बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है ।

क्यों मै इस जमाने की परवाह करूं क्यों मै किसी से कोई आरजू रखूं ... न किसी से शिकवा न शिकायत करूं ,क्योंकि बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है । कोई रोता है तो रोये, मुझे किसी के आँसुओं की परवाह नही , किसी का कुछ खोता है तो खोयें,मुझे किसी के दिल की परवाह नही ,क्योंकि बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है । चाहे किसी का घर जलता है,तो जल जाये, चाहे किसी का दिल टूटता है,तो टूट जाये , चाहे कोई मुझसे रूठता है, तो रूठ जाये , मुझे किसी की परवाह नही ,क्योंकि बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है । जब गम ही मेरी झोली में है, तो क्यों देखूँ मै किसी की खुशीयाँ, क्यों हँसु मै तेरे साथ ऐ दुनियाँ नही परवाह मुझे तेरी...क्योंकि बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है । मन कहता है ,इस दुनियाँ से आँखे मिच लूँ आँखों में जितने आँसू है,उनसे खुद को सींच लूँ इस दुनियाँ के प्यार से अब अपने हाथ खींच लूँ क्योंकि यहाँ बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है । दुनियाँ में हर इंसान बस इसी बात पर अड़ा है, उसके लिये तो, सिर्फ उसी का दर्द ही सबसे बड़ा है.......।

ख्वाहिशें......

यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है........ मेरी ख्वाहिशों के लिए मुझे रोना आता है तो कोई मेरी ख्वाहिशो पर हंसता है | न जाने इन ख्वाहिशों के लिये कितनी रातें जागा हूँ  हर एक  ख्वाहिश के लिये , नींदों से नजरे चुराता हूँ । यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है .. भूख प्यास की फ़िक्र नही , लोक-लाज की खबर नही  ख्वाहिशों के पीछे भागता हूँ , ख्वाहिशें पुरे होने की सबर नही  यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है .. न जाने कितनी ख्वाहिशें अपनी आँखों में पाल बैठा हूँ न जाने कब पूरी होंगी यह ख्वाहिशें आँखों में लेकर यह सवाल बैठा हूँ। यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है .. ख्वाहिशों की मंजिल को ,हासिल करने की पूरी मेहनत करता हूँ  लेकिन हर बार न जाने क्यों ,मंजिल से दूर रह जाता हूँ । यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है .. न जाने क्या कमी है मेहनत में मेरी, जो मंजिल से दूर रह जाता हूँ असफलताओ के ताने सुनकर, मै रुक जाता हूँ। यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है .. लेकिन जब रुकना ही था, तो इन आँखों में ख्वाहिशें क्यों पाली थी... मेहनत तो हमेशा रंग लाती है, ख्वाहिशें ,मेहनत को अपने संग लाती है चलो अपनी ख्वाहिशों के लिए एक कदम फ

विश्वास..

विश्वास न जाने कैसा विश्वास है यह ,जिसने मुझे सम्भाले रखा है । कमजोर यह शरीर है, लेकिन विश्वास मजबूत बना रखा है । विपरीत परिस्थितियों में रोता हूँ, लडखडाता हूँ ,न जाने किस जाल में उलझ जाता हूँ । न जाने यह विश्वास कहाँ से आता है , मै  गिर-गिर के उठ जाता हूँ ,एक कोशिश लड़ने की फिर करता हूँ, न जाने कैसा विश्वास है यह ,जिसने मुझे सम्भाले रखा है ।.......