ख्वाहिशें......
यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है........
मेरी ख्वाहिशों के लिए मुझे रोना आता है
तो कोई मेरी
ख्वाहिशो पर हंसता है |
न जाने इन ख्वाहिशों के लिये कितनी रातें जागा हूँ
हर एक ख्वाहिश के लिये , नींदों से नजरे चुराता हूँ ।
यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है ..
भूख प्यास की फ़िक्र नही , लोक-लाज की खबर नही
ख्वाहिशों के पीछे भागता हूँ , ख्वाहिशें पुरे होने की सबर नही
यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है ..
न जाने कितनी ख्वाहिशें अपनी आँखों में पाल बैठा हूँ
न जाने कब पूरी होंगी यह ख्वाहिशें आँखों में लेकर यह सवाल बैठा हूँ।
यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है ..
ख्वाहिशों की मंजिल को ,हासिल करने की पूरी मेहनत करता हूँ
लेकिन हर बार न जाने क्यों ,मंजिल से दूर रह जाता हूँ ।
यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है ..
न जाने क्या कमी है मेहनत में मेरी, जो मंजिल से दूर रह जाता हूँ
असफलताओ के ताने सुनकर, मै रुक जाता हूँ।
यह ख्वाहिशें भी बड़ी अजीब चीज है ..
लेकिन जब रुकना ही था, तो इन आँखों में ख्वाहिशें क्यों पाली थी...
मेहनत तो हमेशा रंग लाती है, ख्वाहिशें ,मेहनत को अपने संग लाती है
चलो अपनी ख्वाहिशों के लिए एक कदम फिर बढाता हूँ
"न जाने किन ख्वाहिशों के लिए दुआएं करु ,सभी ख्वाहिशें मुझे
जरूरी लगती है |”
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