बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है ।

क्यों मै इस जमाने की परवाह करूं
क्यों मै किसी से कोई आरजू रखूं ...
न किसी से शिकवा न शिकायत करूं ,क्योंकि
बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है ।

कोई रोता है तो रोये, मुझे किसी के आँसुओं की परवाह नही ,
किसी का कुछ खोता है तो खोयें,मुझे किसी के दिल की परवाह नही ,क्योंकि
बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है ।

चाहे किसी का घर जलता है,तो जल जाये,
चाहे किसी का दिल टूटता है,तो टूट जाये ,
चाहे कोई मुझसे रूठता है, तो रूठ जाये ,
मुझे किसी की परवाह नही ,क्योंकि
बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है ।

जब गम ही मेरी झोली में है, तो
क्यों देखूँ मै किसी की खुशीयाँ,
क्यों हँसु मै तेरे साथ ऐ दुनियाँ
नही परवाह मुझे तेरी...क्योंकि
बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है ।

मन कहता है ,इस दुनियाँ से आँखे मिच लूँ
आँखों में जितने आँसू है,उनसे खुद को सींच लूँ
इस दुनियाँ के प्यार से अब अपने हाथ खींच लूँ
क्योंकि यहाँ बस अपना दर्द ही सबसे बड़ा है ।

दुनियाँ में हर इंसान बस इसी बात पर अड़ा है,
उसके लिये तो, सिर्फ उसी का दर्द ही सबसे बड़ा है.......।

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