आ तू मैं एक साँझ हो जाए
मैं घंघोर काली रात सा
तू सुनहरा सा प्रभात है
मैं तारों का संग लिए
तेरा तेज भी प्रख्यात है
मेरे तो चाँद में भी दाग है
तेरा सूरज उबलती आग है
मैं जुगनुओं सा टिम टिमाता हूँ
तेरी किरणे रौशन जग करे
मैं आज का अँधेरा हूँ
तू एक नया सवेरा है
मैं सुनसान सा एक पल हूँ
तेरे चारों ओर हलचल है
तू एक सफ़ेद सा ऊजाला है
लेकिन मैरा रंग भी निराला है
मैं बैठा हूँ रातों की ठंडक लिए
तू तो दिन की बैचेनी है
आ तू मैं एक साथ हो जाए
हाँ तू मैं एक साँझ हो जाए
...(तुषारकुमार)
Comments
Post a Comment