कल उसे फिर रुलाओगे











आज महिला दिवस मनाओगे
कल उसे फिर रुलाओगे
आज उसके बल का बखान करोगे
कल अगले ही पल उसे अबला कहोगे
आज उसे फूलों का हार पहनाएंगे
कल उससे हारने में भी शरमायेंगे
आज कहोगे तु शान है, अभिमान है
कल उसकी शान को शमशान तुम बनाओगे
आज उसके लिए नए वस्त्र लाओगे
कल उसे निर्वस्त्र करने में अपना हाथ आगे बढ़ाओगे
आज उसकी उड़ान की गति में ईंधन भरते जाओगे
कल अपनी कुमति की गति से उसमें रोक लगाओगे

आज स्त्री सम्मान पर दो पेज लम्बा भाषण सुनाओगे
कल उसी के जन्म पर रोनी सूरत में मातम मनाओगे

ऐसी दोहरे चरितार्थ में और कितने जन्म बिताओगे?

    ~(तुषारकुमार)~


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