होली
इस होली चेहरे भले ही रंगीन हो
लेकिन अपने दिलों को धवल श्वेत रखो
रंग भले ही मजीठ गहरे पक्के रखो
लेकिन अपने मन को निर्मल श्वेत रखो
उनके गालों की लाली को भले ही गुलाबी रखो
लेकिन उनको देखकर अपनी नजर को साफ़ श्वेत रखो
आज अपने कुर्ते-आँचल को काले कीट रखो
लेकिन अपनी भावनाओं को थोड़ा श्वेत रखो
आज भले ही होली का पल शाम तक अवेत हो जाए
लेकिन याद रहे यह सोगी समय ख़ुशियों से श्वेत हो जाए
~(तुषारकुमार)~
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